बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
समाजशास्त्रीय चिन्तन के अग्रदूत (प्राचीन समाजशास्त्रीय चिन्तन)
प्रश्न- समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिये।
उत्तर -
समाजशास्त्र की परिभाषा - अनेक समाजशास्त्रियों ने समाजशास्त्र को परिभाषित करने का प्रयास किया है जो कि इस प्रकार है -
1. समाजशास्त्र समाज का अध्ययन करने वाला विज्ञान है - इस दृष्टिकोण के अन्तर्गत गिडिंग्स, समनर, वार्ड और ओडम आदि समाजशास्त्री आते हैं। इन समाजशास्त्रियों का मानना है कि समाजशास्त्र कुछ और नहीं, समाज का क्रमबद्ध व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक अध्ययन करने वाला विज्ञान है। यह समाज का एक समग्र इकाई के रूप में अध्ययन करता है। इस दृष्टिकोण की कुछ परिभाषाएँ निम्नवत् हैं-
ओडम- "समाजशास्त्र समाज का अध्ययन करने वाला विज्ञान है।"
गिडिंग्स - समाजशास्त्र मस्तिष्कों के संसर्ग का विज्ञान है। यहाँ ओडम एवं गिडिंग्स के विचारों से एक ही बात सामने आती है कि समाजशास्त्र समाज का ही अध्ययन करता है। ये अध्ययन समाज के किसी भी रूप अथवा पहलू से सम्बन्धित हो सकते हैं।
2. समाजशास्त्र सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है - मैकाइवर एवं पेज, ग्रीन एवं रॉस इत्यादि समाजशास्त्रियों का मानना है कि समाजशास्त्र सामाजिक सम्बन्धों का अध्ययन करता है। इनका मानना है कि यदि हम समाज के प्रति अपने ज्ञान को सुधारना चाहते हैं तो हमें अपना ध्यान केवल सामाजिक सम्बन्धों तक ही सीमित करना होगा। इनकी परिभाषायें इस प्रकार है
ग्रीन - "समाजशास्त्र इस प्रकार मनुष्य का उसके समस्त सामाजिक सम्बन्धों के रूप में समन्वय स्थापित करने वाला, सामान्य अनुमान प्रकट करने वाला विषय है।'
रॉस - "समाजशास्त्र मानव सम्बन्धों का विज्ञान है।
मैकाइवर एवं पेज - "समाजशास्त्र सामाजिक सम्बन्धों के विषय में है।'
तीनों ही समाजशास्त्रियों ने सामाजिक सम्बन्धों को समाजशास्त्रीय अध्ययनों का केन्द्रीय आधार माना है। इन्होंने घुमा-फिराकर समाज को ही समाजशास्त्र का केन्द्रीय अध्ययन माना है क्योंकि सामाजिक सम्बन्धों का जाल ही तो समाज है।
3. समाजशास्त्र सामाजिक अन्तक्रियाओं का अध्ययन करता है - मैक्स वेबर, जार्ज सिमैल, गिलिन एवं गिलिन, मौरिस गिन्सबर्ग इत्यादि समाजशास्त्रियों के अनुसार यदि हम सामाजिक सम्बन्धों की बात करेंगे तो इन सबका मानना है कि सामजिक अन्तर्क्रिया के फलस्वरूप ही सामाजिक सम्बन्धों का निर्माण होता है, अतः सम्बन्धों की तुलना में अन्तर्क्रिया अधिक महत्वपूर्ण है। इनकी परिभाषाओं से यह बात और अधिक स्पष्ट हो जायेगी-
मैक्स वेबर - समाजशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो सामाजिक व्यवहार में कार्य-कारण सम्बन्ध को ज्ञात करने का प्रयत्न करता है।"
गिलिन और गिलिन - "व्यक्तियों के सम्पर्क से उत्पन्न होने वाली अन्तर्क्रियाओं का अध्ययन ही समाजशास्त्र के अन्तर्गत किया जाता है।
गिन्सबर्ग - समाजशास्त्र मानवीय अन्तर्क्रियाओं तथा अन्तर्सम्बन्धों की दशाओं तथा परिणामों का अध्ययन करता है।'
यहाँ वास्तव में हम देखते हैं कि इस दृष्टिकोण के प्रतिपादक भी प्रथम दो दृष्टिकोणों से आगे नहीं बढ़ पाये हैं। गिन्सबर्ग की परिभाषा तो अन्तर्क्रियाओं के साथ अन्तर्सम्बन्धों के महत्व को स्वीकार भी करती है। सही बात तो यह है कि समाज, सामाजिक सम्बन्ध और सामाजिक अन्तर्क्रिया, एक ही अवधारणा के अलग-अलग नाम हैं। समाज का निर्माण सामाजिक सम्बन्धों से होता है क्योंकि अकेला व्यक्ति समाज का निर्माण नहीं कर सकता। सामाजिक सम्बन्ध सामाजिक अन्तर्क्रिया के फलस्वरूप स्थापित होते हैं।
4. समाजशास्त्र समूहों का अध्ययन करता है - एच. एम. जॉनसन और किम्बॉल यंग की मान्यता है कि यदि हम समाजशास्त्र को सामाजिक समूहों का अध्ययन करने वाला विज्ञान कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
जॉनसन - "समाजशास्त्र सामाजिक समूहों का विज्ञान है, एक सामाजिक समूह सामाजिक अन्तः क्रियाओं की एक व्यवस्था है।
किम्बॉल यंग - "समाजशास्त्र समूह मे मानव व्यवहार का अध्ययन करता है।"
सामाजिक अन्तर्क्रिया के फलस्वरूप सामाजिक सम्बन्ध सृजित होते हैं, फलस्वरूप सामाजिक समूहो का निर्माण होता है तथा यही सामाजिक समूह मिलकर समाज का निर्माण करते हैं।
|
- प्रश्न- समाजशास्त्र के उद्भव की ऐतिहासिक, सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र के उद्भव में सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र के विकास में सोलहवीं शताब्दी से उन्नीसवीं शताब्दी तक के वैज्ञानिक चिन्तन के योगदान की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति क्या है? इसके प्रमुख प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के प्रमुख प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के सामाजिक प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के आर्थिक प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप समाज व अर्थव्यवस्था पर क्या अच्छे प्रभाव हुए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप समाज व अर्थव्यवस्था पर क्या बुरे प्रभाव हुए।
- प्रश्न- राजनीतिक व्यवस्था से क्या आशय है? भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के निर्धारक तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था के निर्धारक तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्तियों ने कैसे समाजशास्त्र की आधारशिला एक स्वतन्त्र अध्ययन के रूप में रखी? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगिक क्रान्ति के क्या सामाजिक एवं राजनीतिक परिणाम हुये?
- प्रश्न- भारत में समाजशास्त्र के उद्भव एवं विकास को संक्षेप में समझाइये।
- प्रश्न- ज्ञानोदय से आप क्या समझते हैं। वैज्ञानिक पद्धति की प्रकृति और सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में वैज्ञाकि पद्धति के प्रयोग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "समाजशास्त्र एक नवीन विज्ञान है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांस की क्रान्ति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- भारत में समाजशास्त्र का महत्व बताइये।
- प्रश्न- कॉम्ट के प्रत्यक्षवाद की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कॉम्टे द्वारा प्रतिपादित चिन्तन की तीन अवस्थाओं के नियम की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कॉम्टे की प्रमुख देन की परीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- अगस्त कॉम्ट का जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कॉम्ट के मानवता के धर्म का नैतिकता आधार क्या है?
- प्रश्न- संस्तरण के आधार अथवा सिद्धान्त बताइये।
- प्रश्न- समाजशास्त्र में प्रत्यक्षवादी पद्धतिशास्त्र की मुख्य विशेषतायें कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- कॉम्ट के विज्ञानों का वर्गीकरण प्रत्यक्षवाद से किस प्रकार सम्बन्धित है?
- प्रश्न- कॉम्ट की प्रमुख देन की परीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्षवाद क्या है?
- प्रश्न- कॉम्टे के प्रत्यक्षवाद को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- तात्विक अवस्था क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक डार्विनवाद से आपका क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- स्पेन्सर द्वारा प्रस्तुत 'सामाजिक उद्विकास' के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर के 'सामाजिक नियन्त्रण के साधन' सम्बन्धी विचार बताइए।
- प्रश्न- स्पेन्सर द्वारा प्रतिपादित सावयवी सिद्धान्त की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र के क्षेत्र में हरबर्ट स्पेन्सर के योगदान का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अधिसावयव उद्विकास की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दुर्खीम के सामाजिक एकता के सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- यान्त्रिक व सावयवी एकता से सम्बन्धित वैधानिक व्यवस्थाएं क्या हैं?
- प्रश्न- दुर्खीम के श्रम विभाजन सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त को समझाइए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र के विकास में दुर्खीम का योगदान बताइए।
- प्रश्न- दुर्खीम के आत्महत्या सिद्धान्त की आलोचनात्मक जाँच कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम द्वारा वर्णित आत्महत्या के प्रकारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम के आत्महत्या सिद्धान्त के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'आत्महत्या सामाजिक कारकों की उपज है न कि वैयक्तिक कारकों की। दुर्खीम के इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दुखींम का समाजशास्त्रीय योगदान बताइये।
- प्रश्न- दुखींम ने समाजशास्त्र की अध्ययन पद्धति को समृद्ध बनाया, व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम की कृतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इमाइल दुर्खीम के जीवन-चित्रण तथा प्रमुख कृतियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कॉम्ट तथा दुखींम की देन की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- श्रम विभाजन समझाइये।
- प्रश्न- दुर्खीम ने यान्त्रिक तथा सावयवी एकता में अन्तर किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- श्रम विभाजन के कारण बताइए।
- प्रश्न- दुखींम के अनुसार श्रम विभाजन के कौन-कौन से परिणाम घटित हुए? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम के पद्धतिशास्त्र की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- श्रम विभाजन, सावयवी एकता से किस प्रकार सम्बन्धित है?
- प्रश्न- यान्त्रिक संश्लिष्टता तथा सावयविक संश्लिष्टता के बीच अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम के सामूहिक प्रतिनिधान के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम का पद्धतिशास्त्र पूर्णतया समाजशास्त्री है। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक एकता क्या है?
- प्रश्न- आत्महत्या का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अहम्वादी आत्महत्या के सम्बन्ध में दुर्खीम के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम के अनुसार आत्महत्या के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक एकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक तथ्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- दुर्खीम द्वारा प्रतिपादित 'समाजशास्त्रीय पद्धति' के नियम क्या हैं?
- प्रश्न- दुखींम की सामाजिक चेतना की अवधारणा का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परेटो की वैज्ञानिक समाजशास्त्र की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- परेटो के अनुसार समाजशास्त्र की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- परेटो की वैज्ञानिक समाजशास्त्र की अवधारणा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पैरेटो ने समाजशास्त्र को एक तार्किक प्रयोगात्मक विज्ञान नाम क्यों दिया? उनकी तार्किक प्रयोगात्मक पद्धति की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट चालक की अवधारणा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रान्त-तर्क की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "इतिहास कुलीन तन्त्र का कब्रिस्तान है।" इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पैरेटो की तार्किक एवं अतार्किक क्रियाओं की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विलफ्रेडो परेटो की प्रमुख कृतियों के साथ संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- विशिष्ट चालक का महत्व बताइए।
- प्रश्न- भ्रान्त-तर्क का वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- परेटो का समाजशास्त्र में योगदान संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- तार्किक और अतार्किक क्रिया की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- पैरेटो के अनुसार शासकीय तथा अशासकीय अभिजात वर्ग की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'ऐतिहासिक भौतिकवाद' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मार्क्सवादी सामाजिक परिवर्तन की धारणा क्या है? समझाइए।
- प्रश्न- मार्क्स के अनुसार वर्ग संघर्ष का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के विचारों में समाज में वर्गों का जन्म कब और क्यों हुआ?
- प्रश्न- मार्क्स ने वर्गों की सार्वभौमिक प्रकृति को कैसे स्पष्ट किया है?
- प्रश्न- पूर्व में विद्यमान वर्ग संघर्ष की धारणा में मार्क्स ने क्या जोड़ा?
- प्रश्न- मार्क्स ने 'वर्ग संघर्ष' की अवधारणा को किस अर्थ में प्रयुक्त किया?
- प्रश्न- मार्क्स के वर्ग संघर्ष के विवेचन में प्रमुख कमियाँ क्या रही हैं?
- प्रश्न- वर्ग और वर्ग संघर्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पूँजीवादी समाज में अलगाव की स्थिति तथा इसके कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संक्षेप में अलगाव के स्वरूपों को समझाइये।
- प्रश्न- मार्क्स ने पूँजीवाद की प्रकृति के विनाश के किन कारणों का उल्लेख किया है?
- प्रश्न- पूँजीवाद में ही वर्ग संघर्ष अपने चरम सीमा पर क्यों पहुँचा?
- प्रश्न- मार्क्स के द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'कार्ल मार्क्स के अनुसार ऐतिहासिक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- ऐतिहासिक भौतिकवाद की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के ऐतिहासिक युगों के विभाजन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के ऐतिहासिक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद से आप क्या समझते हैं? व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- समाजशास्त्र को मार्क्स का क्या योगदान मिला?
- प्रश्न- मार्क्स ने समाजवाद को क्या योगदान दिया?
- प्रश्न- साम्यवादी समाज के निर्माण के लिये मार्क्स ने क्या कार्य पद्धति सुझाई?
- प्रश्न- मार्क्स ने सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या किस तरह से की?
- प्रश्न- मार्क्स की सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या में प्रमुख कमियाँ क्या रहीं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के बारे में मार्क्स के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स का संक्षिप्त जीवन-परिचय तथा प्रमुख कृतियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- वर्ग को लेनिन ने किस तरह से परिभाषित किया?
- प्रश्न- आदिम साम्यवादी युग में वर्ग और श्रम विभाजन का कौन सा स्वरूप पाया जाता था?
- प्रश्न- दासत्व युग में वर्ग व्यवस्था की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामंती समाज में वर्ग व्यवस्था का कौन-सा स्वरूप पाया जाता था?
- प्रश्न- फ्रांस की क्रान्ति के महत्व एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के इतिहास दर्शन का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के अनुसार वर्ग की अवधारणा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स द्वारा प्रस्तुत वर्ग संघर्ष के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र के संघर्ष सम्प्रदाय में मार्क्स और डेहरनडार्फ की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- "हीगल ने 'आत्म-चेतना' के अलगाव की चर्चा की है जबकि मार्क्स ने श्रम के अलगाव की।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के राज्य सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के ऐतिहासिक भौतिकवाद के आवश्यक लक्षणों की आलोचनात्मक परीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सर्वहारा क्रान्ति की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- मार्क्स के अनुसार अलगाववाद के लिए उत्तरदायी कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्क्स का आर्थिक निश्चयवाद का सिद्धान्त बताइये। 'सामाजिक परिवर्तन' के लिए इसकी सार्थकता बताइए।
- प्रश्न- सत्ता की अवधारणा स्पष्ट कीजिए। सत्ता कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- मैक्स वेबर द्वारा वर्णित सत्ता के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मैक्स वेबर के अनुसार समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- वेबर के धर्म का समाजशास्त्र क्या है? बताइए।
- प्रश्न- आदर्श प्रारूप की धारणा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैक्स वेबर के "पूँजीवाद की आत्मा' सम्बन्धी विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वेबर के समाजशास्त्र में योगदान पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- मैक्स वेबर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मैक्स वेबर की धर्म के समाजशास्त्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ हैं? स्पष्ट करें।
- प्रश्न- मैक्स वेबर की प्रमुख रचनाएँ बताइए।
- प्रश्न- मैक्स वेबर का पद्धतिशास्त्र क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- वेबर का धर्म का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- मैक्स वेबर के आदर्श प्रारूप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रोटेस्टेण्ट आचार क्या है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मैक्स वेबर के सामाजिक क्रिया सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विचार के सन्दर्भ में मैक्स वेबर के योगदान का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति की अवधारणा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- दुर्खीम एवं वेबर के धर्म के सिद्धान्त की तुलना आप किस तरह करेंगें?
- प्रश्न- सामाजिक विज्ञान की पद्धति के निर्माण में मैक्स वेबर के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबर द्वारा प्रस्तुत 'सामाजिक क्रिया' के वर्गीकरण का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- अन्तः क्रिया का क्या अर्थ है? अन्तःक्रिया के प्रकारों का उल्लेख करिये।
- प्रश्न- प्रतीकात्मक अन्तः क्रियावाद क्या है? प्रतीकात्मक अन्तर्क्रियावादी सिद्धान्त की मान्यताएँ समझाइये।
- प्रश्न- जार्ज हरबर्ट मीड का प्रतीकात्मक अन्तः क्रियावाद बतलाइये।
- प्रश्न- मीड का भूमिका ग्रहण का सिद्धान्त समझाइये।
- प्रश्न- प्रतीकात्मक का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- प्रतीकात्मकवाद की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- प्रतीकों के भेद या प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक जीवन में प्रतीकों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- टालकॉट पारसन्स का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी कृतियों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- टालकाट पारसन्स का "सामाजिक क्रिया" का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- टालकॉट पारसन्स का सामाजिक व्यवस्था सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- आर. के. मर्टन का संक्षिप्त जीवन परिचय व रचनाएँ लिखिए।
- प्रश्न- आर. के. मर्टन की आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- आर. के. मर्टन की बौद्धिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- मध्य-अभिसीमा सिद्धान्त का अर्थ व प्रकृति को समझाइये।
- प्रश्न- आर. के. मर्टन का "प्रकट एवं अव्यक्त कार्य सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- टॉलकाट पारसन्स के पैटर्न वैरियबल की चर्चा कीजिये।